Wah Wah!!!:)
wow..vry touchin lines....mst continue writing
great .
Thanks Guys. :)
Super Thought
सो चुकी थी दास्ताने-ग़म मेरी...कुछ किताबे-याद की मिट्टी तले,कुछ मुड़े पन्नों में सूखी पत्तियाँ...फूल से दिल, दर्द से बोझिल मिले!!~ 'आतिश'
truely said....
touchy.....lag rha..rone k baad likh gya hai...gud 1..n u selected a right pic also, gr8 work.
“The tears fall, they're so easy to wipe off onto my sleeve, but how do I erase the stain from my heart?”
आंसूं के अस्तित्व को बहुत ही गहराई में इतने कम पंक्तियों में ही रेखांकित कर दिया आपने...कुमार विश्वास जी ने सच ही कहा है... "जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है..."
धन्यवाद आशीष भाई :)
कुछ सोच जो मन विचलित हो उठा स्मृतयो की झाँकी सी थी अधरों पर विचित्र मुस्कान सी थी नयनों का जी भी भर आयाएक बदरी काली यादों की क्रंदन करती कोपित काया पर आँसू एक सहमा सा था आँखों की कोर मै छिपा हुआ डरता था यूँहीं बह जानेपोषित अस्तित्व मिट जाने सेकुछ सोच तभी मन झंकृत सा हुआकण कण मेरा द्रवित सा हुआऔर अब वो भी आँसू बह चला है अपना अस्तिव मिटने को लघु जीवन सार्थक कर जाने को अब वह भी बह चला हैआँसू ही था या सपना कोई जो टूट गया आँसू ही था या तुम थी
बहुत खूब मित्र ...मेरी ओर से भी कुछ पंक्तियाँ
बहुत बहुत धन्यवाद शिवा भैय्या | आपकी कविता ने मेरी चार पंक्तियों में चार चाँद लगा दिए :-)
mmmmm... I am fond of happy poetry... Yet, this was very well written .. Short yet full of emotion :-)
contd.आंसू बोले , अरे हम तो तेरे सच्चे साथी हैंख़ुशी में गर तेरे साथ चलेंगम में भी तुझे न छोड़ पाते हैं
16 comments:
Wah Wah!!!
:)
wow..vry touchin lines....mst continue writing
great .
Thanks Guys. :)
Super Thought
सो चुकी थी दास्ताने-ग़म मेरी...
कुछ किताबे-याद की मिट्टी तले,
कुछ मुड़े पन्नों में सूखी पत्तियाँ...
फूल से दिल, दर्द से बोझिल मिले!!
~ 'आतिश'
truely said....
touchy.....
lag rha..rone k baad likh gya hai...
gud 1..
n u selected a right pic also, gr8 work.
“The tears fall, they're so easy to wipe off onto my sleeve, but how do I erase the stain from my heart?”
आंसूं के अस्तित्व को बहुत ही गहराई में इतने कम पंक्तियों में ही रेखांकित कर दिया आपने...
कुमार विश्वास जी ने सच ही कहा है... "जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है..."
धन्यवाद आशीष भाई :)
कुछ सोच जो मन विचलित हो उठा
स्मृतयो की झाँकी सी थी
अधरों पर विचित्र मुस्कान सी थी
नयनों का जी भी भर आया
एक बदरी काली यादों की
क्रंदन करती कोपित काया
पर आँसू एक सहमा सा था
आँखों की कोर मै छिपा हुआ
डरता था यूँहीं बह जाने
पोषित अस्तित्व मिट जाने से
कुछ सोच तभी मन झंकृत सा हुआ
कण कण मेरा द्रवित सा हुआ
और अब वो भी आँसू बह चला है
अपना अस्तिव मिटने को
लघु जीवन सार्थक कर जाने को
अब वह भी बह चला है
आँसू ही था या सपना कोई जो टूट गया
आँसू ही था या तुम थी
बहुत खूब मित्र ...
मेरी ओर से भी कुछ पंक्तियाँ
बहुत बहुत धन्यवाद शिवा भैय्या | आपकी कविता ने मेरी चार पंक्तियों में चार चाँद लगा दिए :-)
mmmmm... I am fond of happy poetry... Yet, this was very well written .. Short yet full of emotion :-)
contd.
आंसू बोले , अरे हम तो तेरे सच्चे साथी हैं
ख़ुशी में गर तेरे साथ चलें
गम में भी तुझे न छोड़ पाते हैं
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