ये रात अभी भी बाकी है ,
कुछ काम अभी भी बाकी हैं |
ये बात बहुत है छोटी सी ,
और दुनिया बदलना बाकी है |
पर दुनिया कि क्या बात करें , अभी
खुद को ही बदलना बाकी है ;
हम खड़े तो थे इस पार मगर ,
मीलों तक चलना बाकी है ;
ये रस्ता बहुत है संकरा सा , मगर
दुनिया को दिखाना बाकी है
पर दुनिया कि क्या बात करें ,
खुद भी तो चलना बाकी है |
ये रात अभी भी बाकी है ,
दिन को भी निकलना बाकी है
सूरज का चमकना बाकी है , और
किरणों का बिखरना बाकी है ...!
-- अक्षय ठाकुर "परब्रह्म"