दिल में आंसू का सैलाब लिए चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
मन में दबे कुछ ग़मों का समंदर लिए चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
चेहरे पर खुशियों के झरने लिए चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
आँखों में तेरी बेचैन यादों के साए लिए चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
तेरी मीठी बातों का पुलिंदा सर पर लिए चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
तेरी खिलखिलाती हंसी सीने से लपेटे चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
हर आह में तुझसे बिछड़ने का दर्द लिए चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
हर पल तेरी यादों के दरिया में डूबा हुआ चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
एक तू ही तो है जिसकी एक झलक को खोजता चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
बस तेरी एक झलक को खोजता हुआ चलता हूँ, तो जिंदा हूँ |
अब बस जिंदा हूँ, तो जिंदा हूँ |
-अक्षय ठाकुर "परब्रह्म"